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Motivational Story- Search for the happiness of old Gangaram
"बूढ़े गंगाराम की खुशी की खोज" कहानी में गंगाराम नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति हमेशा उदास रहता है और शिकायत करता है। गाँव वाले उससे दूर रहते हैं। लेकिन 80 साल की उम्र में गंगाराम को अहसास होता है कि खुशी की तलाश बेकार है। उसने खुशी की चाह छोड़कर ज़िंदगी का आनंद लेना शुरू किया और खुश हो गया। उसकी खुशी ने पूरे गाँव का माहौल बदल दिया। (Ek Budhe Aadmi Ki Kahani Summary, Hindi Moral Tale)
कहानी: गाँव का सबसे उदास बूढ़ा (The Story: The Saddest Old Man in the Village)
एक छोटे से गाँव में गंगाराम नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। गंगाराम को गाँव वाले सबसे बदकिस्मत इंसान मानते थे। वह हमेशा उदास रहता, हर वक्त शिकायत करता, और उसका मूड हमेशा खराब रहता। सुबह से शाम तक वह बस यही कहता, "मेरी ज़िंदगी में कुछ अच्छा नहीं है। यह गाँव भी बेकार है।" जितना बड़ा वह होता गया, उतना ही उसकी उदासी बढ़ती गई। उसके शब्द इतने कड़वे थे कि लोग उससे बात करने से कतराने लगे।
गाँव वालों को लगता था कि गंगाराम की उदासी संक्रामक है। जो भी उससे मिलता, उसका दिन खराब हो जाता। उसके पास बैठकर खुश रहना मुश्किल था। लोग कहते, "गंगाराम के पास मत जाओ, वह तुम्हारा मूड भी खराब कर देगा।" उसकी उदासी ने पूरे गाँव में एक अजीब सा माहौल बना दिया था। लोग उससे दूर रहने लगे।
एक अनोखा बदलाव (A Surprising Change)
लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे गाँव को हैरान कर दिया। गंगाराम 80 साल का हो गया था। उस दिन सुबह-सुबह गाँव में खबर फैल गई कि गंगाराम आज खुश है! वह न तो शिकायत कर रहा था, न उदास था। बल्कि, वह मुस्कुरा रहा था। उसका चेहरा तरोताज़ा लग रहा था, जैसे उसने कोई खजाना पा लिया हो। यह खबर जंगल की आग की तरह गाँव में फैल गई।
गाँव के लोग गंगाराम के घर के बाहर इकट्ठा हो गए। एक छोटी बच्ची, रानी, ने आगे बढ़कर पूछा, "दादाजी, आज आप इतने खुश कैसे हैं? आप तो हमेशा उदास रहते थे।" गाँव के मुखिया ने भी कहा, "हाँ, गंगाराम! हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा। आज क्या हुआ है?"
गंगाराम ने अपनी झुर्रियों भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया, "कुछ खास नहीं, बेटा। 80 साल तक मैं खुशी की तलाश में भागता रहा। मैं सोचता था कि खुशी कहीं बाहर है—पैसे में, सम्मान में, या किसी और चीज़ में। लेकिन मुझे कभी खुशी नहीं मिली। फिर मैंने सोचा, क्यों न खुशी की तलाश छोड़कर ज़िंदगी को वैसे ही जी कर देखूँ? मैंने फैसला किया कि अब मैं बिना खुशी की चाह के अपनी ज़िंदगी का मज़ा लूँगा। और देखो, आज मैं सच में खुश हूँ!"
गाँव वालों का आश्चर्य (The Villagers’ Amazement)
गंगाराम की बात सुनकर गाँव वालों को अपनी गलती का एहसास हुआ। वे भी तो हमेशा खुशी के पीछे भागते थे। किसी को ज़्यादा पैसे चाहिए थे, किसी को बड़ा घर। लेकिन गंगाराम ने उन्हें सिखा दिया कि असली खुशी बाहर नहीं, बल्कि अपने मन में होती है। उस दिन के बाद गंगाराम गाँव का सबसे प्यारा इंसान बन गया। वह बच्चों को कहानियाँ सुनाता, बड़ों से हँसी-मज़ाक करता, और हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाता। गाँव का माहौल ही बदल गया। (Budhe Gangaram Ki Khushi Story, Happiness Lesson Tale)
सीख (Moral of the Story)
बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि खुशी की तलाश में भागने की बजाय हमें अपनी ज़िंदगी का आनंद लेना चाहिए। गंगाराम ने 80 साल तक खुशी ढूँढी, लेकिन जब उसने तलाश छोड़ी, तो उसे असली खुशी मिली। हमें भी जो कुछ हमारे पास है, उसमें संतुष्ट रहना चाहिए। खुशी बाहर की चीज़ों में नहीं, बल्कि हमारे मन की शांति में है। हमेशा सकारात्मक सोच रखो और छोटी-छोटी बातों में खुशियाँ ढूँढो। (Lesson on Happiness, Motivational Story for Kids)
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